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विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा पंजीकृत
उदेश्य
  1. देवी वाणी संस्कृत के पठन पाठन के माध्यम से संस्कृति एवं संस्कारों की रक्षा करना तथा राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार का यत्न करना।
  2. मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  3. ब्राह्मणों को नित्य कर्मकाण्ड एवं संस्कारों के करने के लिए प्रशिक्षित करना तथा उपदेशकों को प्रचारार्थ शिक्षा देना।
  4. ब्राह्मणों की आर्थिक उन्नति के लिए कृषि, आयुर्वेदिक, ज्योतिष, व्यापार इत्यादि परियोजनाओं के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
  5. प्राचीन ऋषियों की धरोहर (धर्म, कला, साहित्य, सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, विज्ञान आदि) को सुरक्षित रखना व अप्रकाशित पुस्तकों को यथासंभव छपवाना।
  6. ब्राह्मण विद्याओं और धर्म अनामों के आधार पर यथाशक्ति परिसर का प्रबंध करना एवं जाति में प्रचलित कुरीतियों और त्रुटियों को पूर्ण रूप से दूर करने का यत्न करना।
  7. ब्राह्मण समाज के हित में मासिक पत्रिका का प्रकाशन तथा स्थाई कोष एवं इसके मुद्रण यंत्र का प्रबंध करना।
  8. भारत के विभिन्न स्थानों पर महासभा द्वारा अधिवेशनों/कार्यशालाओं का आयोजन करना।
  9. ब्राह्मण समाज के हित में मासिक पात्रिका का प्रकाशन तथा स्थाई कोष एवं इसके मुद्रण यन्त्र का प्रबंध करना।
  10. भारत के भिन्न भिन्न स्थानों पर हर वर्ष महासभा द्वारा अधिवेशन / कार्यशालाओं का आयोजन करना।
  11. देश भर में अधिक से अधिक भगवान परशुराम मंदिर का प्रयत्न करना।
  12. ब्राह्मणों को संगठित करना तथा एकता के लिए प्रयत्न करना।
  13. 13. सरकारी एवं गैर सरकारी सेवाओं में ब्राह्मण बालकों को रोजगार दिलाने हेतु प्रयास करना।
  14. ब्राह्मणों में स्वउद्योग (स्वयं का व्यापार) को बढावा देने का प्रचार प्रसार करना।
  15. प्राचीन एवं आधुनिक विद्याओं में ज्ञान हेतु विश्वविद्यालयों/विद्यापीठ तथा तकनीकी शिक्षण संस्थानों की स्थापना करना।
  16. ज्योतिष, आयुर्वेद एवं संस्कृत के ज्ञान हेतु प्रशिक्षण शिविर संचालिक करना एवं उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान करना।
  17. निर्धन ब्राह्मण परिवारों की चिकित्सा हेतु परशुराम आरोग्यशाला स्थापित करना।
  18. वृद्धो की सेवा हेतु वृद्धाश्रम की स्थापना करना ।
  19. आध्यात्मिक क्षेत्रो से जुड़े वक्ताओं बुद्धिजीवियों संस्थाओं को पुरस्कृत करना।
  20. सामाजिक रूप से विकलांग जनों तथा महिलाओं के कल्याणार्थ विभिन्न कार्यक्रम चलाना।
  21. पर्यावरण की रक्षा हेतु समाज में जागरूकता पैदा करने के कार्यक्रम चलाना।
  22. प्राकृतिक आपदा में प्राथमिक सुविधायें उपलब्ध कराने का समुचित प्रबन्ध करना।
  23. महासभा द्वारा पीतवणु ध्वज में फरसा का चिन्ह लगाकर ब्राह्मणों में एकता का संदेश प्रसारित करना।
  24. मानव मात्र के लिए आध्यात्मिक वातारण के द्वारा सुखद सदाचार सम्पन्न समृद्ध विश्व व्यवस्था के निमार्ण में शतत साधना क्रम का अनुसंधान (आध्यात्मिक सामाजिक) कार्य विवध क्षेत्रों में करना।
  25. विश्व मानव के स्वस्थ्य जीवन में गो गंगा तथा श्रीमद् भागवत गीता का अपरिहार्य योग्यदान विषयक विविध क्षेत्रों में शोध का संस्थानों की स्थापना करना।
  26. अन्तर्राष्ट्रीय मानवीय भावनाओं का संरक्षण तथा संवर्धन करना।
  27. ट्रस्ट के उ‌द्देशयों की पूर्ति हेतू पत्रिका व अन्य लेखन सामग्री प्रकाशित करना। 28. महापुरूषों का प्रचार एवं जयन्ती।
  28. प्राकृतिक आपदा में सहयोग करना ।